राज-सिंहासन--भाग(१२)

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ज्ञानश्रुति का ऐसा अद्भुत अभिनय देखकर सहस्त्रबाहु सच में भ्रमित हो गया था,उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि आज तो वो कन्या उसकी जीवनसंगिनी बनकर ही मानेगी,उसने ज्ञानश्रुति के इस अभिनय की प्रसंशा करते हुए कहा... राजकुमार ज्ञानश्रुति! आज तो मेरे प्राण ही चले गए होते,आपका अभिनय अत्यधिक प्रभावशाली था,अब मुझे आप पर पूर्णतः विश्वास हो गया है कि आपको सुकेतुबाली नहीं पहचान पाएगा॥ धन्यवाद!सहस्त्र भ्राता! मैं अत्यधिक प्रसन्न हूँ कि आपको मेरा अभिनय भाया,किन्तु अब निपुणिका को बचाने में बिलम्ब नहीं होना चाहिए,मुझे हर क्षण मेरी बहन की चिन्ता रहती है कि ना जाने वो कैसीं होगी? ज्ञानश्रुति बोला।। मैं