किशोर अवस्था

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किशोर अवस्था सुबह 9 बजे हम अपनी कार से श्रीनगर के लिए निकल लिए थे. रशिम की खुशी का ठिकाना ही नहीं था, वो रात भर सो भी ना सकी थी, वह सपनो में भी काश्मीर की सैर कर रही थी. देर सुबह उठने की आदि रश्मी, सुबह जल्दी ही उठ कर बैठ गई थी, उसका बस चलता तो वो उड़ कर काश्मीर पहुँच जाती. नाश्ते के बाद सभी काश्मीर के लिए निकल लिए थे. रास्ते का आनंद लेने के लिए जिद कर के रशिम अगली सीट पैर बेठ गई. किशोर अवस्था में जान से प्यारे खिलोने कब कबाड़ में