लोगों का काम है कहना

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अभी मैं सुबह के कार्यों से निवृत्त होकर नाश्ता लेकर बैठी थी कि तभी मोबाइल बज उठा,देखा तो सरिता का फ़ोन था।थोड़ी देर सामान्य बातों के उपरांत उसने किंचित रोषपूर्ण स्वर में बताना प्रारंभ किया,"अरे लता,तुम्हें पता है, अभी रजत जी को गुजरे 16 दिन हुए हैं और दीपिका ने नर्सिंग होम जाना प्रारंभ कर दिया।ऐसा भी क्या पैसे का हवस कि एक माह पति के गुजरने का शोक भी न मना सकी।और तो औऱ, सफ़ेद साड़ी तो छोड़ो,रँगीन सलवार-कुर्ते में जा रही है, उसपर बिंदी,लिपिस्टिक भी लगा लिया।हद है बेशर्मी की,कम से कम दुनियादारी का ही ख्याल रख लेती।हम