घुटन - भाग १८

  • 3.5k
  • 2
  • 1.6k

वीर प्रताप और रुक्मणी की नज़र उन पर पड़ने के बाद कुमुदिनी तिलक से अलग हुई और उसे बाय करते हुए धीरे से कहा, "भैया कल मिलोगे?" "हाँ कुमुद बिल्कुल मिलूँगा।" जैसे ही कुमुदिनी ऊपर आई रुक्मणी ने सवालों की झड़ी लगा दी, "कौन था वह? बीच सड़क पर यह क्या कर रही थीं। तुम्हें शर्म आनी चाहिए। अपने पापा की इज़्जत का तुम्हें जरा भी ध्यान नहीं रहा। पूरे शहर में सब कितनी इज़्जत करते हैं उनकी और तुम?" "माँ मेरी बात तो सुनो, आप ग़लत सोच रही हो। वैसे भी मैंने किया ही क्या है? दोस्तों के गले