वो तुम थे??? - 4

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आगाज़ हो रहा है मिलने का..... सालो से रुके समय के हिलने का... शिवल्या और विक्रम दोनों ही उस बूढ़े आदमी के साथ जंगल में घुस जाते है। थोड़ी देर चलने पर ही एक पुराने मंदिर की आकृति और पताका दूर से ही नज़र आ रही होती है। उस मंदिर को देखकर ना जाने कुछ धुंधली यादे शिवल्या को दिखाई और सुनाई देने लगती है, जैसे एक लड़की की बुलंदी से कहती हुई आवाज़ कि हम अपना कर्तव्य निभाएंगे?? और फिर से वही आवाज़ कि तुम्हारे लिए हम अपना कर्म स्थान छोड़ रहे है पर अपने कर्तव्य से चूकेंगे नहीं!!!