आँगन की चाँदनी - 2

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वो अपने कदम पीछे लिए जल्दी से सीढ़ियों से उतरते हुए सोचने लगी, दी ने तो बताई ही नही थी उनका कोई मेहमान आने वाला है, पता नही यह अजनबी कौन है, दी से पूछती हु। इसी खयाल के साथ आरोही आरूषि के कमरे में गयी, कमरे में जा कर देखा तो आरूषि रोहित की शर्ट को प्रेस कर रही थी। आरोही: दी आरूषि सर उठा कर मुस्कुराते हुए बोली तुम उठ गई। आरोही: लेकिन आप यह बताये आपने मुझे जगाया क्यों नही। आरुषि: मैं तुम्हारे कमरे में गयी तो थी लेकिन तुम इतनी गहरी नींद में सो रही थी