चाह

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लेखिका- सिवसंकरी अनुवादक - डॉ लता रामचंद्रन वह अपनी आँखों को मूंदें उस लड़की की तस्वीर को मन ही मन देख रहा था. पिछले एक महीने से वह उस लड़की को याद कर रहा था, और अपने दिल के आईने में उसे लगातार देख रहा था. अब तो उसे उस लड़की के ख्यालों के साथ रहने की आदत सी पड़ गयी थी. उस लड़की का क़द क़रीब पांच फुट होगा, न ज़्यादा मोटी थी, न पतली। पर, उस लड़के की नज़र तो उस लड़की की पतली सी कमर पर जाकर ही रुक जाती थी. उसकी कमर में एक लचीलापन था,