राज-सिंहासन--(अन्तिम भाग)

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अब अखण्डबली की मृत्यु हो चुकी थी,किन्तु बसन्तसेना की मृत्यु से सहस्त्रबाहु को अत्यधिक आघात पहुँचा था,अब आगें की योजना का कार्यभार उसके काँधों पर आ गया था,यदि बसन्तसेना जीवित होती तो उसकी सहायता करती एवं वो सरलता से अपने माता पिता को खोज सकता था,परन्तु अब वो मार्ग भी बंद हो गया था,इसलिए सहस्त्रबाहु ने सभी विचारों को त्यागकर सर्वप्रथम बसन्तसेना का अन्तिम संस्कार करना उचित समझा,सभी ने बसन्तसेना का अन्तिम संस्कार करने में योगदान दिया, उधर सहस्त्रबाहु ने आगें की योजना की रणनीति तैयार ही की थी कि सुकेतुबाली तक ये सूचना पहुँच गई कि जो रघुवीर और