अपने साथ मेरा सफ़र - 7

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सात मुझे ये जानकर बहुत अच्छा लगा कि मेरे कुछ और मित्रों व परिचितों का भी ऐसा ही मानना है जैसा कि मैं सोच रहा था। अर्थात - 1. यदि कोई लेखक लिख रहा है तो उसे वर्षों बाद पढ़ने से बेहतर है कि उसे तत्काल तभी पढ़ा जाए। ये भावना बिल्कुल उस मां की तरह पवित्र और मासूम थी जो सोचती है कि उसका परिवार उसकी बनाई हुई रोटी गर्म - गर्म ही खा ले। यद्यपि इस बात को साहित्य लेखन से जोड़ कर देखने पर एक दुविधा यह भी आती है कि ताज़ा भोजन करते समय भोजन की