अधूरी चाहत

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पूरे 20 सालों के बाद आज उसे देख रहा था। उसके चेहरे पर वही ताज़गी, वही मासूमियत अब भी बरकरार थी, जो आज से बीस साल पहले थी। मैं वहीं स्टेशन पे खड़े- खड़े ही, पुरानी यादों में कब खो गया, पता ही नहीं चला। क़रीब बीस साल पहले की बात थी। मेरे घर के सामने वाले, खाली पड़े मकान में एक परिवार आकर रहने लगा था। परिवार में,माँ और दो बच्चे थे। मुझे तो पता भी नहीं चलता। वो तो अम्मा ने बातों ही बातों में जिक्र किया था। उस वक़्त मैंने कुछ ख़ास दिलचस्पी नहीं ली थी, उनके