सन्नाटा

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‘सन्नाटा' कविता में कवि का परदेश में निवास करने का दर्द व्यक्त है। वे परदेश में रहते भाव से नहीं जुड़ पाए हैं। सब कुछ जम सा गया है। कोई हलचल नहीं है। वाणी मूक है, कुछ सुनाई नहीं पड़ता। मन में निर्वासन का भाव छाया है। स्वयं की शक्ति पर शंका है। अन्त में, वे आत्म शक्ति की एक चिंगारी के बुझने की कल्पना से चिंतित हो उठते हैं। जीवन के चारों ओर फैले एकाकीपन की वेदना को व्यक्त किया गया है।