हां भगवान, मैं डरता हूं।

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डर क्या हैं?सही मायने में कहूं तो हर बार, डर का दायरा इंसान खुद पैदा नहीं करता हैं। हालात, किस्मत, कुछ अपने, कुछ पराए और ये दुनियां वाले डर का माहौल पैदा कर देते हैं। पर इंसान सबसे ज्यादा डरता हैं अपने अतीत से, अपने आने वाले भविष्य से और चल रहें अपने वर्तमान से। इंसान कितना ही वीर क्यों ना हो पर एक ना एक डर उसके जीवन में भी होता हैं।कुछ पंक्तियां डर के लिए। इन पंक्तियों में "मै" शब्द का उपयोग हर उस इंसान के लिए हैं जो डरता हैं। हां भगवान मैं डरता हूं।वो सोचते हैं