लहरें बुलाती हैं

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आचरण, सभ्यता, नेक–नियम और मानवता से भरे आदर्शो के उपदेश केवल धार्मिक ग्रंथों में ही पढ़ने को मिला करते हैं, काकेष जी। वस्तविक जीवन में इनका प्रयोग करने वाला मसीहा, येरूशलेम के बैतलहम में दोबारा पैदा होते मैंने आज तक नहीं देखा है।’ *** ‘जी, सुनिये।’ ‘?’ गुमसुम, खोई–खोई सी, अपने ही ख्यालों में डूबी हुई, सागर की मदमस्त लहराती हुई लहरों को देखती हुई कज़ली के कानों में अनजाना सा स्वर सुनाई पड़ा तो वह सहसा ही चौंक गई। उसने गर्दन घुमा कर पीछे देखा तो किसी लंबे, एकहरे बदन और कंधों तक उसके सागर की ख़ारी ठंडी वायु