गले की फाँस

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लघुकथा - गले की फाँस" सुनते हो ! ऑफिस जाने से पहले तीन हजार रुपये ए टी एम से निकाल कर दे जाना!" रसोईघर से लगभग चिल्लाते हुए सुरेखा ने अपने पति नीरज से कहा ।"क्यों?" चौंकते हुए नीरज ने पूछा ।"अभी परसों ही तो दस हजार रुपये दिए थे सब खत्म हो गए क्या?" नीरज ने आगे कहा ।"हाँ तो ! खत्म नहीं होंगे क्या ?" बर्तन वहीं स्लैब पर पटक कर दनदनाते हुए सुरेखा नीरज के पास पहुँची और कमर पर यों हाथ रखकर खड़ी हो गयी मानो अभी नीरज को काट खाएगी। नीरज सकपकाते हुए बोला, "मेरी