बुझा आई तेरे नाम के दिए *** 'तुम्हें साड़ी बहुत अच्छी लगती है. जींस आदि नहीं पहना करती हो?' 'हमारे घर और गाँव में लड़कियां केवल साड़ी और सलवार-कुरता ही पहना करती हैं, जींस और शौर्ट्स नहीं.' 'लेकिन, शैली तो अक्सर जींस ही पहन कर कॉलेज आया करती है. वह भी तो तुम्हारे ही गाँव की है और तुम्हारी सहेली भी' 'तो ?' सुनीता ने उसे एक संशय से भेदभरी दृष्टि से घूरा तो शालीमार तुरन्त ही बोला, 'तुम भी जींस पहन सकती हो?' 'क्यों पहन सकती हूँ?' 'मैं देखना चाहता हूँ कि आधुनिक वस्त्रों में तुम कैसी दिखती हो?'