मैं भूलकर कहीं...

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मैं भूलकर कहीं... कहानी / शरोवन *** 'ज़िन्दगी में कभी अगर मैं भूल कर कहीं अचानक से मिल गया तुमको तो पहचानने की कोशिश तो कर लोगी मुझे?' 'लिपट जाऊंगी तुम से, लेकिन शादी नहीं करूंगी.' बदली के शब्दों में लाचारी और होठों पर बे-बसी झलकी तो अंबर को ये सोचते देर नहीं लगी कि जिस लड़की को लेकर उसने अपने भविष्य के महल खड़े कर लिए थे, उनके खंडरों के टुकड़े भी बटोरने के लायक उसकी हैसियत ना तो खुद उसके अपने घर में ही रही थी और ना ही वह मसीही बस्ती कि जिसकी हवाओं में हर दिन