स्नेह की थपकी...

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जब मैं पैदा हुआ था तो मुझे अपनी बाँहों में उठाने वाले पहले हाथ मेरे दादी के थे,मेरे पैदा होने पर शायद वें ही सबसे ज्यादा खुश थीं,दाई माँ को उन्होंने अपने गलें में पड़ी सोने की चेन उतारकर दे दी थीं और थाली बजाकर सारे मोहल्ले को ये खबर सुनाई कि मेरे घर पोता हुआ है और मेरे पिताजी से बोलीं कि जाओ अपने बगल वाले फौजी काका से कहो कि अपनी बंदूक से हवा में गोली चलाकर बच्चे के आने का स्वागत करें, मेरी माँ बतातीं हैं कि घर में पन्द्रह दिनों तक दादी ने ढ़ोलक और मंजीरे