सोई तकदीर की मलिकाएँ - 38

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सोई तकदीर की मलिकाऐँ -   38    बस अड्डे से बातें करते हुए वे गाँव के बीचोबीच आ पहुँचे थे । गाँव के कुछ कच्चे कुछ पक्के घरों के दरवाजें खुले हुए थे मानो सब घर द्वार सुभाष को जी आयां नूं कह रहे हों ।आसमान में एक आवारा बदली इधर उधर भटक रही थी जैसे बरसने के लिए उचित सी जगह ढूंढ रही हो और आगे ही आगे भटक कर चल दी हो । हवा में हल्की ठंडक उतर आई थी । सूरज ने धीरे से किरणों को धरती पर उतार दिया था । उनके धरती पर चहल