परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग19 - प्रह्लाद का पुनः राजसभा में प्रवेश

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प्रथम बार का आक्रमण, पुरोहितों की प्रार्थना पर मुक्ति]कुछ समय के पश्चात् दैत्यराज ने अपना दूत भेज कर गुरुपुत्रों के साथ ब्रह्मचारी प्रह्लाद को बुलवाया और बड़े प्रेम के साथ उनको अपनी गोद में बिठा कर पूछा “बेटा! इतने दिन हो गये तुमने जो विद्या का सार अपने आचार्य चरणों से प्राप्त किया हो, उसको हमें सुनाओ। बेटा प्रह्लाद! तुम्हारे गुरु तुम्हारी बड़ी प्रशंसा करते हैं और तुम्हारी माता तो तुम्हारे समान देव बालकों के ज्ञान को भी नहीं मानती। इस प्रकार हम बारम्बार दूसरों से तुम्हारी प्रशंसा सुनते रहे हैं, आज स्वयं तुम्हारे ही मुख से ज्ञान-चर्चा सुनना चाहते