मेरी जिन्दगी की एक सच्ची कड़वी हकीकत

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शाम का समय था, मैं अपने गार्डन में बैठा ठंडी-ठंडी हवाओ का आनंद ले रहा था. आकाश में पंक्षी मंडरा रहे थे, सूरज ढलने को चल दिया था. मैं भी काफी देर से अकेला बैठा-बैठा बस यु ही अब बोर हो रहा था. अचानक मेरी पड़ोसी घर के तरफ गई. उनके घर में मिस्टर गुप्ता और उनकी पत्नी रहते थे, एक उनका लड़का भी था जो किसी दुसरे शहर में पढाई करता था. फिर ये लड़की, कौन है? शायद कोई रिश्तेदार होगी, ऐसा सोचकर मैंने अपने मन को मना लिया, पर जब मैंने दुबारा उस तरफ देखा तो वो लड़की