सफर का सच

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सफर का सच -ट्रेन मुम्बई शिवाजी टर्मिनल से खुली प्रथम श्रेणी का कुपा आमने सामने बैठे दो अजनबी मुसाफिर एक बेहद आधुनिक समाज की खूबसूरत भारत कि गौरव गरिमामयी नारी शक्ति कि प्रतीक रंजीता एवं सामने बैठे थे भारतीय सेना के अधिकारी दिव्यांश चटर्जी ट्रेन टिकट कलेक्टर ने आकर पहले मैडम रंजीता से पूछा मैडम आपको कोई परेशानी तो नही है? जो भी रेल द्वारा सुविधाएं दी जानी है वह उपलब्ध है मैडम रंजीता ने कहा जी मुझे बहुत खुशी है कि रेल ने बदलते समय के अनुसार अपनी जिम्मीदारियो को समझा है और उसी के अनुसार सुविधाओ को विकसित