हॉंटेल होन्टेड - भाग - 29

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भाई के कहे शब्दों से मुझे लोगों से घुटन होने लगी, ऐसा लगने लगा मानो जैसे यह जिंदगी चुभ सी रही हो, इसलिए में क्लास से जितना तेज़ चल सकता था उतनी तेज़ से चलते हुए में कॉरिडोर से निकला और सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर जाने लगा।मै तब तक सीढ़िया चढता गया जब तक मुझे सामने गेट नहीं दिख गया, मैंने गेट खोला और कुछ कदम बड़ा की में उस सुकुन में आ गया जो सुकुन मुझे ये कुदरत देती थी। मेने एक लंबी सांस छोडी, ठंडा हवा मेरे चेहरे पे पढ़ रही थी, में धीरे धीरे चलता हुआ आगे