बूढ़ी अम्मा

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बूढ़ी अम्मा चुपचाप बैठी हुई कुछ सोच रही थी।शायद...जीवन की कुछ बीती हुई यादें ताजा हो गई हो।उम्र की अस्सी बसन्त झेल रही थी।किंतु,उसे जीवन से कोई शिकायत नहीं थी,और वैसे भी बूढ़ी अम्मा शिकायत करके भी क्या करती?उसे चार बेटे थे।सब केवल नाम के थे।कभी भी प्रेम से अपनी बूढ़ी अम्मा के पास नहीं बैठते थे।हाँ, चार वक्त की रोटी खिला देते थे और उसी को अपनी कर्तव्य मान रहे थे।इसी बीच बूढ़ी अम्मा की आँखें नम हो गई।वह अपनी लाठी की सहारे से उठकर खड़ी हो गई और धीरे-धीरे बरामदे में रखी गई खटिया पर लेट गई।उसे नींद