दयावान भूत पर आ रही है असीम दया

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अभी-अभी हाल ही में तो खमेसर आया था इस कस्बे में। ऐसा कस्बा जो धीरे-धीरे शहर का रूप ले रहा था। इधर-उधर, दूर-दूर तक निर्माणाधीन बिल्डिंगें बिखरी पड़ी थीं। कहीं-कहीं, आस-पास में कई सारी बिल्डिंगें बन रही थीं तो कहीं-कहीं एकदम से सन्नाटा पसरा था। दूर-दूर तक एक भी घर नहीं तो किसी-किसी एरिए में एक-आध कच्ची झोपड़ियाँ नजर आ जा रही थीं। दरअसल खमेसर का बड़ा भाई रमेसर इस कस्बे में दैनिक मजदूरी का काम करता था। उसने ही खमेसर को भी काम के सिलसिले में बुलवाया था। खमेसर बीए पास था और उसके भाई ने उसे बताया था