वीर सावरकर - 14

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वीर सावरकर द्वारा हिन्दू महासभा के वार्षिक अधिवेशनों पर दिये गये भाषणों का सारअहमदाबाद (सन् १९३७ ई०)प्रारम्भ में आभार प्रदर्शन और स्वतन्त्र हिन्दू साम्रज्य नेपाल का अभिवादन करते हुए वीर सावरकर ने अपना भाषण इस प्रकार प्रारम्भ किया:हिन्दुस्थान सर्वदा एकरस एवं अविभाज्य हीरहना चाहिये । वर्त्तमान समय में भारतवर्ष पर जो कृत्रिम एवं राजनैतिकबलात्कार जनित प्रान्तीय बटवारा लादा गया है उसके विचार को अलग हटाया जाय, तो हम पर यह बात स्पष्ट होगी कि हम सब रक्त, धर्मं तथा देश इन प्रबल, अविभाज्य एवं टिकाऊ बन्धनों के द्वारा परस्पर के साथ जकड़े गये हैं। चाहे जो हो,हमें अपना ध्येय समझकर