मंगलसूत्र - 6

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मूल लेखक - मुंशी प्रेमचंदसाधु चला गया तो पुष्पा फिर उसी खयाल में डूबी - कैसे अपना बोझ उठाए। इसीलिए तो पतिदेव उस पर यह रोब जमाते हैं। जानते हैं कि इसे चाहे जितना सताओ, कहीं जा नही सकती, कुछ बोल नहीं सकती। हाँ, उनका खयाल ठीक है। उसे विलास वस्तुओं से रुचि है। वह अच्छा खाना चाहती है, आराम से रहना चाहती है एक बार वह विलास का मोह त्याग दे और त्याग करना सीख ले, फिर उस पर कौन रोब जमा सकेगा, फिर वह क्यों किसी से दबेगी।शाम हो गई थी। पुष्पा खिड़की के सामने खड़ी बाहर की