मंगलसूत्र - 7

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मूल लेखक - मुंशी प्रेमचंदबूढ़ा नौकर बहुत दिनों का था। स्वामिनी उसे बहुत मानती थीं। उनके देहांत होने के बाद उसे कोई विशेष प्रलोभन न था, क्योंकि इससे एक-दो रुपया ज्यादा वेतन पर उसे नौकरी मिल सकती थी, पर स्वामिनी के प्रति उसे जो श्रद्धा थी वह उसे इस घर से बाँधे हुए थी। और यहाँ अनादर और अपमान सब कुछ सह कर भी वह चिपटा हुआ था। सब-जज साहब भी उसे डाँटते रहते थे, पर उनके डाँटने का उसे दुख न होता था। वह उम्र में उसके जोड़ के थे। लेकिन त्रिवेणी को तो उसने गोद खिलाया था। अब