माई का श्राप

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पुनः प्रसारणमाई का श्रापवो तीन बेटों की माँ थी। बेटों को छोटी उम्र में ही छोड़कर पिता गुजर गया था। गंगा नाम था उसका, जैसे ही पति गया वो ठाकुर जी के चरणों में चली गई। बस दिन रात उनका ही ध्यान करती मेहनत मजदूरी कर तीनों बच्चों को बड़ा किया। श्याम प्रसाद, राम प्रसाद और शिव प्रसाद ये ही तीनों उसकी दुनिया थे । भगवान की बहुत सेवा औरदनों बेटों को ब्ई थी गंगा माई। सब कहते थे की गंगा माई के हैं वो जो कहती है पत्थर की लकीर है। सब उसे गंगा माई कहते थे। पूरे गांव