खेल खौफ का - 8

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आफरीन की बातें सुनकर मुझे अब ये घर और यहां के लोग दोनों ही अजनबी और अजीब दोनो लगने लगे थे. काश कि उन पुलिस ऑफिसर्स ने अब तक मेरी नानी मां का पता लगा लिया हो और मुझे और आशु को यहां से वापस हमारे शहर ले चलें. मुझे अब यहां और नहीं रुकना. मगर दिल के किसी कोने में मैं पहले से जानती थी कि ये पॉसिबल नहीं है. जब मुझे और कुछ नही सूझा तो मैंने चोरी छुपे उस मकान में जाने का निश्चय किया. वैसे भी अंकल कोवालकी आजकल अपने आर्ट वर्क में बिजी थे. उनको