वीरान सड़क

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काज़ी वाजिद की कहानी - प्रेमकथा ठीक एक वर्ष बाद मैं उसे देखूंगी। मैंने इस मुलाकात की कोई उम्मीद कभी की ही नहीं थी, हालांकि मुलाकात के अवसरों की कमी न थी। मुझे निमंत्रण देते समय सलोनी ने उस छोटे से वाक्य को दो बार दोहराया था , 'नेहा सुनो, मैंने रोहित और सपना को भी आमंत्रित किया है, तुम्हें कोई एतराज़ तो नहीं।' यह सुन मैंने उत्तर दिया‌ था, 'भला मुझे क्या आपत्ती हो सकती है। मुझे तो अच्छा ही लगेगा। लेकिन इस बात में कितना सच छिपा हुआ था, मेरा दिल ही जानता था। जब से हमने साथ