भाभी के चरण (व्यंग)

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मैं एक टुच्चे से थाने का इंचार्ज तथा पुलिस निरीक्षक था. मेरे सामने बैठा आदमी एक बड़ा उद्योगपति तथा स्विमिंग एकेडमी का अध्यक्ष था. उसका मोटा (बड़ा) भाई शहर का जाना माना नेता और मंत्री था. इतनी बड़ी हस्ती मुझ अदने से सरकारी अफसर के सामने बैठकर अपनी शिकायत दर्ज कर रही थी. मुझे अजीब लगा. पता चला कमिश्नर ने शिकायत की खानापूर्ति करने हेतु उसे यहां भेजा है. उसकी पहले ही फोन पर पुलिस कमिश्नर से बात हो चुकी थी. हमें खानापूर्ति ही करनी थी. कोई और होता तो वह लिपिक हवालदार के सामने बैठकर अपनी शिकायत दर्ज करा