हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 32

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आर्थिक व्यवस्थाबहुत लोगों के मनमें एक जिज्ञासा बनी हुई है कि भाईजी का खर्च कैसे चलता था। व्यापार तो उन्होंने ३५ वर्षों की उम्र में छोड़ दिया था, बड़ी पूँजी उनके पास थी नहीं, फिर खर्च की क्या व्यवस्था थी। कई लोगों को तो यह भ्रम था कि भाईजी अपना खर्च कल्याण से चलाते हैं। एक दिन भाईजी के एक परिचित सज्जन आये और बातें करते हुए पूछने लगे कि 'कल्याण' से कितने रुपये बच जाते हैं। भाईजी ने उन्हें समझाया कि कल्याण में प्रायः नुकसान ही रहता है या बराबर-सा हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह सब तो