हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 37

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गीताप्रेसमें हड़तालभाईजी रतनगढ़ से चलकर ज्येष्ठ शु० 1 सं० 2002 (11 जून. 1945) को गोरखपुर आ गये। गीताप्रेस के कर्मचारियोंमें पर्याप्त असन्तोष था। श्रावण सं० 2002 (अगस्त 1945) में भाईजी ने ट्रस्टियों को समझाकर कर्मचारियों को आर्थिक सुविधायें दिलायी। एक बार तो समस्या टल गई पर नेताओंने कर्मचारियों को भड़का कर थोड़े समय बाद ही हड़ताल का नोटिस दे दिया। भाईजीने समस्याको सुलझानेका बहुत प्रयत्न किया, कई बार दिनभर प्रेसमें रहे, किन्तु स्थिति सुलझ नहीं सकी। कर्मचारी अपनी बातपर अडिग रहे। कोई रास्ता न देखकर प्रबन्धकोंने आषाढ़ शुक्ल 8 सं० 2003 (6 जुलाई, 1946) को अनिश्चित काल के लिये प्रेस