त्रिबंका

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त्रिबंका   छोटेलाल आज बहुत खुश थे बरसों के बाद उसके घर में खुशियों का माहौल आया था और खुश हो भी क्यों ना शादी के पूरे 20 साल बाद घर में किलकारीयों की गूँजने की उम्मीद जागी थी। आज उनकी पत्नी प्रसव पीड़ा से करा रही थी गाँव की ही दाई को बुलाया गया था । दाई ने सब कुछ सामान्य होने की बात कही और थोड़ी देर धीरज रखकर बैठने के लिए कहा अंँदर से आवाज़ आ रही थी औरतों की ,बार बार कह रही थी थोड़ा ज़ोर लगा थोड़ा और ज़ोर लगा। छोटेलाल इस बात को बहुत