मेरे दादाजी

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परम पूज्यनीय दादा जी , सादर प्रणाम आपको।मैं कुछ दिनों से सोच रहा था कि एक पत्र आपको लिखुं पर कैसे लिखुं?समझ नहीं पा रहा था। दरअसल मैं आपको धन्यवाद देना चाहता था पर आत्म ग्लानि की वजह से वो कभी भी नहीं बोल पाया तो आज एक पत्र के माध्यम से मैं लिखने की कोशिश कर रहा था।दादा जी आज मैं जो कुछ भी हुं वो सिर्फ और सिर्फ आपके वजह से हुं ‌मुझे अभी तक वो मेरे सपने, मेरे ख़्वाब सब याद आते हैं जिन्हें पुरे करने में आपने मेरे लिए क्या- क्या न किया, आज जब सोचता