टमाटर

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कोई एक गॉव की सड़क पर मोहनलाल और उसका बेटा सुरेश स्कूटर पर जा रहे है, सुरेश स्कूटर चला रहा है और मोहनलाल पीछे बैठे है | वो सड़क का रास्ता सिंगल पट्टी जैसा है और आगे जाकर मुख्य शहर को मिलता है | रास्ते पर यातायात कुछ खास नहीं है | मोहनलाल मन ही मन मुस्कुराते हुए अपने बेटे से कहेते है, कितने अच्छे से शगुन कि विधि निपट गई | हमें जैसे चाहिए थे वैसे ही समधी मिल गए | सुरेश सिर्फ़ “हं...” ही जवाब देता है | उसे पिता जी कि यह बात अच्छी नहीं लगी |