थोड़ा और

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जब तक हम सत्य जानते हैं। तब तक बहुत देर हो जाती है। यह आत्मा, इंद्रिय,मन कितने वज्र के बने होते हैं। यह बात तो हम सभी गाहे बगाहे जानते ही हैं। इनका स्वयं पर कोई नियंत्रण ही नही है। और न ही हमको ये अपने ऊपर किसी भी प्रकार का नियंत्रण करने देती है। और बस केवल इसीलिए इंसानों ने इस अनियंत्रित अवस्था से भयभीत होकर धर्म , आस्था, संयमता प्रतिष्ठा आदि का निर्माण किया होगा। ताकि अगर ये किसी भी प्रकार से पकड़ में न आई। तो हम धर्म का सहारा ले लिया करेंगे।हम सब कही न कही