प्रफुल्ल कथा - 9

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कथा सम्राट प्रेमचन्द का कहना है कि “ लिखते तो वह लोग हैं जिनके अन्दर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है | जिन्होंने धन और भोग - विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया , वह क्या लिखेंगे ?” आज जब मैं इन पन्नों पर अपने आप को उतार रहा हूँ तो लगता है कि उस दौर की मेरी परेशान ज़िंदगी में सब ‘चिल’ हो जाएगा किसको पता था , मुझे भी तो नहीं ! सोचिए,अगर मुझ जैसा साहित्यिक रूचि वाला नौजवान सच को झूठ और झूठ को सच साबित करने की जद्दोजहद वाली कोर्ट - कचहरी