प्रफुल्ल कथा - 12

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हसन कमाल ने फिल्म “निकाह” के लिए एक लोकप्रिय नज़्म लिखी है –“ अभी अलविदा मत कहो दोस्तों,न जाने फिर कहां मुलाकात हो |क्योंकि,बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी,ख्वाबों में ही हो चाहे मुलाकात तो होगी |”इसी में शायर ने आगे यह भी कहा है-“ये साथ गुज़ारे हुए लम्हात की दौलत,जज्बात की दौलत, ये खयालात की दौलत |कुछ पास न हो पास, ये सौगात तो होगी |”सचमुच आज अपनी आत्मकथा लिखते हुए मैं शायर की लिखी इस नज़्म की आत्मा में बैठा कर अपने दिन बिता रहा हूँ |अपने जीवन को अलविदा कहने का समय आ गया है