नमन शत शत नमन

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nआज हम जिस मुकाम पर पहुँच चुके हैं उस मुकाम तक पहुंचने में जाने अनजाने कितने संगी साथियों का"ज्ञात-अज्ञात "योगदान रहा है ।"ज्ञात-अज्ञात "विशेषण मैनें जान बूझकर इसलिए जोड़ा है क्योंकि ये लोग आधुनिक सूचना क्रांति के बहुत पहले या अत्यंत शुरुआती दौर के कर्मयोगी रहे हैं और उस दौर में इनका काम ही इन्हें पहचान दिलाती थी ।ख़ास तौर से आकाशवाणी या ऐसी ही मीडिया के कर्मयोगी जिन्हें तैरती हवाओं में,ध्वनितरंगों के माध्यम से अपना जादू बिखेरना होता था,अपना चित्र बनाना होता था ।याद कीजिए अमीन सायनी को, देवकीनंदन पांडेय को, लतिका रत्नम को, इन्दु वाही को....!इन ढेर सारी