उजाले की ओर –संस्मरण

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================= स्नेहिल मित्रों सस्नेह नमस्कार   जीवन में कई बार ऐसी घटनाएँ अचानक समक्ष आ जाती हैं कि उन्हें साझा किए बिना मन नहीं मानता | इस जीवन-यात्रा में आवश्यक नहीं होता कि कोई यथा कथित शिक्षित अथवा उच्च वर्ग से संबंधित व्यक्ति ही बहुत समझदार, संवेदनशील लगे | यह समझदारी किसी के भी भीतर हो सकती है क्योंकि विधाता ने हम सभी को मस्तिष्क नामक उपहार से नवाज़ा हुआ है |वे अवश्य अपेक्षा भी करते ही होंगे कि हम उनके द्वारा प्रदत्त इस उपहार की पूरी सार-संभाल करें व इसकी उपयोगिता करें | इसीके मद्दे -नज़र मुझे एक घटना