उजाले की ओर –संस्मरण

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================== नमस्कार स्नेही मित्रो कई बार बात बहुत छोटी सी होती है किंतु हमारे जीवन में यह बहुत गहन प्रभाव डालती है। सच में यदि सोचकर देखें तब महसूस होगा कि इस भौतिक जगत में से निकलना इतना आसान नहीं है। हम एक चीज़ में से निकल कर दूसरी किसी बात में फँस जाते हैं लेकिन मुक्त नहीं रह पाते। हम अपनी उलझनों में से निकलने के लिए हाध पैर मारते हैं, छटपटाते रहते हैं। किसी के द्वारा सुनाई गई एक कथा याद आती है : एक पंडित जी प्रतिदिन किसी रानी के पास कथा करने जय करते थे। कथा