कुल्फी वाला

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नीरू अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ी बाहर निहार रही थी। ठंड का मौसम था, हाथ में एक कप चाय लिए अपने बीते हुए पलों को याद कर रही थी। आज भी याद था वह दिन जब वह महज 10 साल की थी। निकली थी सुबह घर से स्कूल जाने के लिए अपने दोस्तों के साथ। उस दिन भी वह हमेशा की तरह यह सोच कर स्कूल गई थी कि वह रोज की तरह पढ़ाई करेगी और अपने दोस्तों के साथ खूब मस्ती करेगी। उसे क्या पता था कि आज का यह दिन उसके लिए ऐसा दिन बन जाएगा