छेलिया का आतंक

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ठंडी हवा हिमालय की ऊंची चोटियों से उतरकर गांव में घुसती थी, मानो कहानियां सुना रही हो. गाँव के बुजुर्ग इकट्ठे हुए, आग तापते हुए, कहानियाँ बाँटते हुए. आज की कहानी थी छाल बदलने वालों, यानी छेलिया की.एक जवान लड़का, सुरेश, नया-नया वनरक्षक बना था. वो शहर से आया था, इन कहानियों को सिर्फ हंसी में उड़ाता था. उसे तैनात किया गया था एक घने जंगल के पास, जहाँ अजीब सी आवाजें और गुमशुदगी के किस्से मशहूर थे.पहली ही रात, जंगल की गहराई से चीखें सुनाई दीं. डर के मारे सुरेश अपनी झोंपड़ी में छिप गया. सुबह, उसने गश्त करते