एक शाम

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आज मिलना हैना? एक प्यारा सा मैसेज ,बहुत हरकतों के साथ लिखा गया था। सुबह से मन खुश बहोत था। मिलने की ख्वाहिश से बार बार समय देखते हुए प्रवीण ने अपने कार्य को जल्दी से पूरा कर दिया। खाना तो श्रुष्टि साथ ही खाना था उसी के हाथो से ।समय हो चुका था प्रवीण जल्दी से स्कूटर की चाबी लेके निकल गया घर से , स्कूटर चलाते चलाते वो श्रृष्टि के वो आलिंगन में खो गया जहां उसने पहली बार श्रृष्टि को अपने सीने से लगाया था। उसकी बाहों में प्रवीण हमेशा अपनापन महेसुस करता था। अरे भाई, रास्ता