खामोश ज़िंदगी के बोलते जज़्बात - 13

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                             भग:13                                      रचना:बाबुल हक़ अंसारी                    "सत्ता का चेहरा और अनया की जंग"पिछले भाग से…   अनया ने पांडुलिपि को हाथों में उठाया और मंच से पुकारा —"ये सिर्फ़ मेरे पापा की कलम नहीं है, ये हर उस इंसान की आवाज़ है जिसे झूठ और अन्याय ने दबा दिया।मैं इस पांडुलिपि को पूरा करूँगी… और इसे दुनिया के सामने लाऊँगी।"सत्ता की साज़िशअनया की