जहरीला घुंगरू भाग 1 “दवंडी की गूँज और पहला तूफ़ान” राज्य की शाम हमेशा शांत हुआ करती थी,लेकिन आज हवा में अजीब-सी घबराहट थी।सूरज की लाल किरणें पहाड़ों के पीछे डूब रही थीं, और किले की ऊँची दीवारों पर जली मशालों की रोशनी लहरों की तरह चमक रही थी।अचानक—धड़ाम! धड़ाम! धड़ाम!राज्य के हर कोने में नगाड़ों की आवाज़ गूंज उठी।सिपाही, दूत, प्रचारक—सब एक ही बात पुकारते हुए दौड़ रहे थे—“सुनो! सुनो! सुनो!राजा वज्रप्राण के आदेश से आज रात्रि भव्य नृत्य-सभा होगी!”“प्रसिद्ध नृत्यांगना तालिका पहली बार हमारे राज्य में अपने नृत्य की कला प्रस्तुत करेगी!”“प्रत्येक नागरिक, प्रत्येक गाँववाला महल में उपस्थित हो!”दवंडी की