सपनों की बारिशलेखक: विजय शर्मा एरी(अजय के लिए समर्पित)भाग १: बादलों का आनाअजय की आँखें खुलीं तो कमरे में हल्की सी धूप थी। बाहर खिड़की से झाँकते हुए उसने देखा—आसमान पर काले बादल छा रहे थे। गाँव की मिट्टी की सोंधी खुशबू हवा में घुल रही थी। मानसून की पहली बूँदें अभी-अभी गिरनी शुरू हुई थीं।“आज बारिश होगी,” उसने बुदबुदाया।अजय उन्नीस साल का था। गाँव का एक साधारण लड़का, जिसके सपने शहर की ऊँची इमारतों तक पहुँचते थे। पिता खेतों में दिन-रात मेहनत करते, माँ घर संभालतीं। स्कूल की दसवीं पास करने के बाद अजय ने कॉलेज का फॉर्म भरा