धीरे डी हीरे बारिश ने तुफानी सुरत अख्तियार कर ली अंधकार और भी अँधेरा, बादल की गरज और भी डरावनी और बिजली की चमक और भी तेज हो गयी मालूम होता था प्रकृति अपनी साडी शक्ति से जमीन को तबाह कर देगी यकायक मुझे ऐसा मालूम हुआ की मेरे सामने से किसी चीज की परछाई सी निकल गयी पहले तो मुझे ख्याल हुआ की कोई जंगली जानवर होगा लेकिन बिजली की एक चमक ने यह ख्याल दूर किया वह एक आदमी था, जो बदन को चुराये पानी में भिगता हुआ एक तरफ जा रहा था मुझे हैरत हुई की इस मूसलाधार वर्ष मैं कौन आदमी बारक से निकल सकता है और...