Kiston Ki mout

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‘‘इंसान रोज ही नहीं हर पल मरता है, जब वह अंतिम रूप से मरता है तो दुनियां को लगता है कि फलां मर गया। लेकिन रोजाना जो किस्तों में मरता है उसका क्या ?’’ राजस्थान के मरुस्थल में टीलों के पीछे इतने गांव और ढाणियां (गांव का छोटा रूप) बिखरे पडे हैं कि अगर समेटने लगो तो एक समानान्तर दुनिया तैयार हो जाएगी।इन टीलों के बीच एक ऐसा ही गांव करमलिका था। एक तरफ सड़क और तीन तरफ रेत के पहाड़, जिन पर कहीं कहीं खेजड़ी के पुराने पेड़ अपने अस्तित्व की आखिर लड़ाई लड़ रहे थे। इसी पेड के नीचे बैठकर पेमा पटेल ने अपना फैसला दिया था या इसी खेजड़ी के पेड़ की अंतिम टहनी तक कोई चढ़ जाता तो उसके साथ गांव की किसी लड़की का विवाह कर देते लेकिन आज तक कोई भी चढ नहीं पाया। ऐसी अनेक कहानियां हर पेड़ के साथ जुड़ी थी। आज उन कहानियों के पात्रों को कोई नहीं जानता मगर लोगों की स्मृतियों में वे इस कदर पैठे हुए हंै कि रोज एक नई कहानी का जन्म हो जाता है।